Hindi Poetry - MyStudyArt

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Monday, July 13, 2020

Hindi Poetry



Hindi Poetry

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sad-girl

कभी भूल जाओ तो यादों में लिखना
गुनगुनी धूप महकती शामों में लिखना
आँखों के जल या लबों के हर पल में लिखना 
बीती हुई रात या आने वाले कल में लिखना 
कभी सूरज की गर्मी या मौसम की नरमी में लिखना
लिख पाओ तो अक्स मेरा बिखरी हुई जमीन पर लिखना 
अपनी कलम  स्याह या मंजिल की राह पर लिखना 
लब्ज़ अधूरे पड़े तो अपने मन के सार में लिखना
बेखबर होकर मुझे तुम हर बात में लिखना।

 -Lakshmi 
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beautiful-woman


कहाँ कुछ बदला है 
आसमां से ताकता तू भी है 
जमीन से निहारती मैं भी हूँ 
मैं बांसुरी की धुन सी अधूरी 
तो मेरे बिन तू भी नहीं पूरा 
तू उस जहां का महताब ही सही 
मैं इस जहां की धूल ही सही 
आग से अगर रौशनी तेरी 
तो श्मशान में पड़ी राख मैं भी नहीं। 

 -Lakshmi 
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lover-pic

सागर की एक बूँद सा पी लो मुझे 
जीवन की साँस सा जी लो मुझे 
कण-कण में बसती सी धूप हूँ मैं 
फूलों की पंखुड़ियों  में 
रास्तों की पगडंडियों में 
पंक्षियों की चहचहाट में 
पतियों की सरसराहट में 
अंजुली भर जल में 
आने वाले कल में 
पल-पल बिखरती हुई हवा हूँ मैं 
फ़िज़ा की लताओं में 
उलझे हुए बालों में 
महकी सी शाम में 
भूले हुए नाम में 
रोती हुई आँखों में 
थम सी गयी सांसों में 
पी लो मुझे सूरज के ताप जैसा 
जी लो मुझे रात के ख़्वाब जैसा। 

 -Lakshmi 
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ख़ामोशी से तेरे पास सब कुछ कहना है 
तेरे बाँहों की माला में अब मुझे रहना है
दर बदर भागती हुई फिजा हूँ मैं 
तेरे रूह की काया में अब मुझे बसना है 
मुक़म्मल खुदा की रोशनी में बहना है 
चलते-चलते फिर कहीं ठरना है
 गुजरे हुए लम्हों का साया हूँ मैं   
ढलती हुई रात को भूल कर सुबह में महकना है 
बिन कहे जिंदगी की जद में रहना है 
मुश्किल राह पर दरिया से चलना है 
अरदास के कशिश की सजा हूँ मैं 
 फूलों की सेज़ पर काँटों को सहना है। 

 -Lakshmi 
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संग तेरे कुछ लम्हे बुनने थे
ज़ज़्बात तेरे कुछ यूँ सुनने थे
किस्से कहानियां दोहरानी थी
सुलझा लूँ तुझे वो बात पुरानी थी। 

 -Lakshmi 
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लिखा जो तेरे नाम वो ख़त आख़री था
कहने को तुझसे अभी बहुत कुछ बाकी था
हाथों की वो उलझी लकीरें तुझे दिखानी थी
मंजूर नही मुझे तेरी ये अधूरी कहानी थी

 -Lakshmi 
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मैं वाकिफ़ नही तुमसे , तुम कौन हो ?
नज़र कुछ पहचानी सी है
सबब भी कुछ जान पड़ता है 
मुख पर ख़ामोशी लिए तुम मौन हो
मैं वाकिफ़ नही तुमसे, तुम कौन हो ? 
चेहरों को पढ़ना मुझे नही आता
पर शब्दों का मोल बख़ूबी जानती हूँ
मन मेरा जानकर,तुम अब भी मौन हो
मैं वाकिफ़ नही तुमसे , तुम कौन हो ? 

 -Lakshmi 

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कभी रूठ जाऊँ तो मनाना मत
कभी टूट जाऊँ तो संभालना मत
इश्क़ ग़र कम पड़े तो बताना मत
बस चुपके से बाहें सहलाके चले जाना
सुन न पाउंगी मैं इश्क़ अधूरा था मेरा
बिखरे उन लम्हों को संग तुम ले जाना मत
कदम तुमनेे बढ़ाये पर रास्ता था मेरा
उसी राह से फिर कभी लौट के तुम आना मत

 -Lakshmi 

                                                       
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